हरेली अमावस और जादू-टोना की रात

अगस्त 30, 2011 at 3:05 अपराह्न टिप्पणी करे

ब्लॉ.ललित शर्मा, शनिवार, ३० जुलाई २०११

पंजा जोड़ी- बैगा ने पत्थर से निकालना बताया, जीवाश्म हो सकता है
छत्तीसगढ अंचल में सावन माह को तन्त्र-मंत्र और जादू टोने के साथ जोड़ा जाता है एवं सावन माह को ग्रामांचल में काफ़ी महत्व दिया जाता है। प्रत्येक ग्राम में एक बैगा होता है, जो गाँव के देवी-देवताओं की पूजा करके उन्हे परम्परागत ढंग से मनाता है। सावन में प्रत्येक ग्राम वासी से चंदा करके गाँव बांधने एवं देवी-देवताओं की पूजा की जाती है।  इसे सावनाही बरोना कहते हैं, सावन के प्रथम सोमवार की रात को पूजा का सामान लेकर अपने चेलों के साथ बैगा गाँव की चौहद्दी सीमा (सरहद-सियारा-मुनारा) में अपने चेलों के साथ जाता है, तथा जिस स्थान पर देवी-देवता का स्थान नियत है, उस स्थान पर होम-धूप देकर पूजा करता है। ग्राम के बाहर खार (खेत) में भैंसासुर, सतबहनिया, शीतला, ग्राम देवता, आदि का निवास माना जाता है तथा ग्राम की भीतर सांहड़ा देव, महादेव, हनुमान जी, दुर्गा देवी एवं अन्य देवताओं का निवास मानते हैं।
सावनाही रेंगाना – ग्राम सीमा में टोटका
बैगा खार (खेतों) के नियत स्थानों पर पर देवी-देवताओं की पूजा करके गाँव की सीमा में एक स्थान पर विशेष पूजा करता है, जिसे गांव बांधना कहते हैं। सावन सोमवार को गाँव बांधने की पूजा के कारण ही सभी स्कूलों की आधे दिन की छुट्टी रहती है, जब हम स्कूल में पढते थे तब भी होती थी और आज भी होती है। इस दिन गाँव के सभी लोग छुट्टी करते हैं काम से और किसी दुसरे गाँव भी नहीं जाते। गाँव बांधने की तांत्रिक पूजा में लाल, काले, सफ़ेद छोटे छोटे झंडे, नींबु, काली हंडी, बांस की टोकनी (चरिहा) खुमरी (बांस की बनी टोपी) नारियल होम-धूप, लकड़ी की बैलगाड़ी का प्रतीक, दारु, मुर्गी इत्यादि का प्रयोग होता है। इस पूजा में बैगा सभी देवी-देवताओं का आह्वान करके उनसे गाँव की रक्षा का निवेदन करता है कि गाँव में धूकी (हैजा-कालरा) भूत-प्रेत, टोना-टोटका एवं अन्य दैविय प्रकोप न हो। इसके बाद एक मुर्गी को जिंदा छोड़ा जाता है और फ़िर उस पूजा स्थल को दुबारा पीछे मुड़ के नहीं देखा जाता। बीमारियों को दैविय प्रकोप से जोड़ कर देखा जाता है। गाँव बांधने बाद सभी लोग घर नहीं जाते, गाँव के बाहर स्थित स्कूल, मंदिर या ग्राम पंचायत भवन में रात गुजार देते हैं। मान्यता है कि इनके साथ कहीं भूत-प्रेत गांव में प्रवेश न कर जाए। फ़ोड़े गए नारियलों का प्रसाद ये ही लोग खाते है, घर लेकर नहीं जाते।
टोटका का सामान-  श्वेत-लाल-काले ध्वज
गाँव में किसी के बीमार होने पर लोग सबसे पहले बैगा के पास ही इलाज के लिए जाते हैं, बैगा झाड़-फ़ूंक एवं परम्परागत जड़ी-बूटियों से इलाज करता है। बैगा के इलाज से स्वस्थ न होने पर ही लोग कस्बों एवं शहरों की तरफ़ इलाज के लिए उन्मुख होते हैं। इन्हे अपनी परम्परागत चिकित्सा एवं टोने-टोटके में अत्यधिक विश्वास है। इनका पारम्परिक मान्यताओं पर विश्वास ही पढे लिखे लोगों को अंधविश्वास दिखाई देता है। जबकि पारम्परिक जड़ी-बूटियों से भी कारगर इलाज होता है। विद्याअध्यन काल में मीठा खाकर घर से बाहर निकलने पर मुझे बुखार जैसा लग कर हाथ पैरों में दर्द के साथ ठंड लगने लगती थी। तब चुल्हे के पास बैठ कर उसकी गर्मी से बदन को सेकता था। एक बैगा हमारे यहाँ काम करता था, उसके एक बार झाड़ने फ़ुंकने से ही मैं ठीक हो जाता था। अब तो बरसों से ऐसी स्थिति नहीं बनी है। लगता है कि बैगा की विद्या भी काम करती थी।
बैलगाड़ी के प्रतीक का उपयोग
सावन की अमावस को हरेली का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन बैगा और उसके चेले मंत्र सिद्ध करते हैं। गुरु नए चेलों को मंत्र दीक्षा भी देते हैं। गाँव के एकांत में नियत स्थान पर एकत्र होकर सभी तांत्रिक क्रियाओं को अंजाम देकर बैगा चेलों को जड़ी-बूटियों की पहचान भी बताते हैं। मेरी भेंट सिलोंधा निवासी दल्लु बैगा से हुई, ये साँप भी पकड़ते हैं एवं बैगाई-गुनियाई भी करते है। इनके पास मैने एक से एक सांप देखे जिसमें लगभग 9 फ़िट का किंग कोबरा भी था। जब उसकी फ़ोटो लेने लगा तो वह सिर उठाकर फ़ोटोशेसन करवाने लगा। सिर घुमाकर चारों तरफ़ देखता था। मैने दल्लु बैगा से टोनही देखाने को कहा। तो बैगा ने कहा कि टोनही तीन प्रकार की होती है,श्वेत, लाल और काली। आपको टोनही देखना है तो दैइहान (चारागन-जहां पशु एकत्र होते हैं) में अमावस की रात 12-1 बजे को एक नारियल लेकर खड़े हो जाओ, सब दिख जाएगा। एक से एक टोनही मिलेगी झुपते हुए, लेकिन उसके लिए तंत्र-मंत्र का इंतजाम करना पड़ेगा।
दल्लु बैगा – सिलोंधा वाले
मैने उसे अपने साथ चलकर टोनही दिखाने का आग्रह किया। उसने अनजान आदमी के लिए खतरा बताया। मैने कहा कि अपनी गारंटी मैं लेता हूँ और तुम्हे लिखित में देता हूँ कि अनहोनी होने पर मैं स्वयं जिम्मेदार हूँ। उसे मेरा प्रस्ताव पसंद नहीं आया। उसने कहा कि-“मैं आपको जड़ी दे सकता हूँ, उसके प्रभाव से आपको कुछ नहीं होगा, लेकिन मैं आपके साथ नहीं जाऊंगा, आपको अकेले ही जाना पड़ेगा।” इसका तात्पर्य यह था कि वह पल्ला झाड़ना चाहता था। परन्तु मैं भी जिद्दी आदमी हूँ, समय मिलने पर उसके गाँव तक जाऊंगा और सत्यान्वेषणकरुंगा, छोड़ुंगा नहीं। उसने सांपों का जहर सेवन की भी बात बताई। उसका कहना था कि वे सांपों का जहर निकाल कर खाते भी हैं और बेचेते भी हैं। मैं जहर निकाल कर खाते हुए फ़िल्माना भी चाहता हूँ। देखते हैं यह अवसर कब आता है?
आज हरेली त्यौहार है, कुछ और बैगाओं को पकड़ते है, जिससे हमें भी ज्ञान मिले। अज्ञात से ज्ञात होना तो सभी चाहते हैं, लेकिन जो जानकार होने का दावा करते हैं वे सामने आने पर बहाना बनाकर भाग जाते हैं।हरेली त्यौहार मूलत: किसानों का त्यौहार है जिसमें बोआई के पश्चात किसान अपने कृषि यंत्रों को धो मांज कर उनकी पूजा करते हैं। घर में पकवान बनाकर भगवान को होम जग देते हैं। सावन में जल-जनित बीमारियाँ की रोकथाम के लिए गाँव के देवताओं से निवेदन करते हैं। गेंडी चलाकर उत्सव मनाते हैं। पता नहीं कैसे हरेली त्यौहार को लोगों ने टोना-टोटका एवं तंत्र-मंत्र से जोड़ दिया। मुझे भूत-प्रेत एवं जादू टोने पर विश्वास नहीं है। ऐसे अवसर ढूंढते रहता हूँ कि भूत-प्रेत से भेंट हो, पर नहीं होती तो क्या करें। आज जंगल के गावों में जाकर जादु-टोना देखने का विचार है, रात को बैगाओं के तंत्र-मंत्र के प्रयोग भी देखना है। सभी को हरेली त्यौहार की शुभकामनाएं।

NH-30 सड़क गंगा की सैर

 

COMMENTS :

25 टिप्पणियाँ to “हरेली अमावस और जादू-टोना की रात —- ललित शर्मा”

Udan Tashtari ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ६:१३ पूर्वाह्न 
हरेली त्यौहार की शुभकामनाएं।

बैगाओं और टोने टोटके के बारे में सुना सुना बस है…जानकारी के लिए आभार: अज्ञात से ज्ञात होना तो सभी चाहते हैं…सो ही हम भी!! 🙂

जाट देवता (संदीप पवाँर) ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ६:४९ पूर्वाह्न 
ललित भाई
छोडना नहीं जो कुछ भी उनके राज है सब फ़र्दाफ़ाश कर देना आखिर हमें भी तो पता चले कि असलियत क्या है।

Ratan Singh Shekhawat ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ७:१२ पूर्वाह्न 
हरेली त्यौहार की शुभकामनाएं।
विश्वास भी बहुत बड़ी चीज होती है अपने बचपन की बात है पास के कस्बे में एक वैधजी थे उनके पास एक औरत आई उसके पेट में दर्द था वैधजी ने एक पर्ची पर दवा लिखकर दी और कहा-“ये खा लेना ठीक हो जवोगी और तीन दिन बाद आकार फिर दिखाना|” औरत ने उस पर्ची को पीस कर फांक लिया और तीन दिन बाद आकर वैधजी को बताया कि पर्ची को पीस कर फांकते ही पेट दर्द ठीक हो गया|
ये भी विश्वास ही |

way4host

अशोक बजाज ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ७:३५ पूर्वाह्न 
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .

Vivek Rastogi ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ७:४५ पूर्वाह्न 
हमने भी ये टोने टोटके बहुत देखे हैं, झाबुआ में, पर कभी उनके पीछे पड़ने की कोशिश नहीं की क्योंकि वहाँ के लोग कहते थे कि ये काला जादू से भी ज्यादा तगड़ा होता है।

नीरज जाट ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ८:४४ पूर्वाह्न 
बैगा हर जगह होते हैं। ये अगर ऐसा करके पांच-चार रुपये कमा लेते हैं तो क्या बुरा है। आपने सही कहा है कि पढे-लिखे लोग इसे अन्धविश्वास कहते हैं।

Rahul Singh ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ८:४६ पूर्वाह्न 
मजा आगे ग, ए निकाले हस फेर जोरदार पोस्‍ट.

Arunesh c dave ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ११:०१ पूर्वाह्न 
मै त हरेली के गिन पैदा हुये रहेंव एक सियान कहे रहिस कि एला कोनो भूत परेत नई धर सके हां चुड़ैल धर सकथे पर उहू रात भर — के छोड़ दीहि मार नई सके

Kajal Kumar ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ११:३१ पूर्वाह्न 
जादू-टोने में ठेठ विश्वास रखने वाले बहुत कड़े लोग होते हैं भई, उन्हें कोई नहीं समझ सकता.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ १:०५ अपराह्न 
यह पोस्टलेखक के द्वारा निकाल दी गई है.
संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ १:०६ अपराह्न 
टोने टोटके पर बहुत से लोंग विश्वास करते हैं … न जाने क्यों मन में यह बातें ऐसे पैठ जाती हैं कि डर तो लगता ही है :):)

दीपक बाबा ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ २:२२ अपराह्न 
@और सत्यान्वेषण करुंगा, छोड़ुंगा नहीं।

ललित जी, काफी दिलचस्प है आप और आपकी पोस्ट भी.. बहुत कुछ नया देखने को पढ़ने को मिला…. बैगा…. कुछ ज्यादा ही कारीगर मिला तो बुला लेना दिल्ली में ….. कई भूत और चुडेल देश में चिपकी हुई हैं……. शायद उन्हें वश में कर के पड़ोस में छोड़ दे 🙂

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ३:०६ अपराह्न 
हरेली त्यौहार की रोचक जानकारी…

anu ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ३:४४ अपराह्न 
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं .
आज के वक़्त में हमारे गावों में अन्धविश्वास कितने गहरे तक है ये आपके लेख से पता चलता है
ऐसा लेख पढवाने के लिए आभार आपका

भारतीय नागरिक – Indian Citizen ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ५:२८ अपराह्न 
सत्यान्वेषण का इन्तजार है..

P.N. Subramanian ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ६:०६ अपराह्न 
आपकी यात्रा मंगलमय हो.

डॉ टी एस दराल ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ६:१६ अपराह्न 
ललित जी , अब इन पाखंडियों का पर्दाफाश कर ही डालो ।
अफ़सोस २१ वीं सदी में भी ये पाखंड चलते हैं ।

anurag ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ७:४७ अपराह्न 
इनका विश्वास बने ही रहने दें ..इस दुनिया की आधुनिकता से ये कुछ दूरी बना कर ही चलें तो अच्छा है .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ७:५२ अपराह्न 
हरेली त्योहार की शुभकामनायें।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा… 

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 ३० जुलाई २०११ ११:४६ अपराह्न 
PRAMOD KUMAR @ gmail
हरेली पर्व की आपको हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए….! हरेली अमावस्या पर आपका लेख बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्द्धक लगा. बड़े हिम्मत वाले हो ललित भैया आप…..हरेली अमावस्या की रात को अकेले भूत-प्रेत, टोनही से मिलने जा रहे हो……मिलने पर उनकी फोटो और इंटरव्यू जरूर लेना….उनको भी अपने फेसबुक और गूगल और ललित डाट काम में ऐड कर लेना, और हॉं हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करते रहना. अच्छा है आप जादू-टोना और तांत्रिक विद्या सीख लो, फिर हमे अपना चेला बना लेना। आपके साहसिक प्रयासों से हरेली अमावस्या के दिन जादू-टोना से जुड़ी कई भ्रांतियां दूर होगी……………लोगों को सच पता चलेगा. जाईऐ बजरंगबली आपकी रक्षा करें………..सभी बुरी बलाओं से आपको दूर रखें. आपका शुभचिंतक………………….!

हेमन्‍त वैष्‍णव ने कहा… 

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 ३१ जुलाई २०११ ८:०४ पूर्वाह्न 
आज के पोस्‍ट में हरेली के पहले आधी रात ….. लाल, काले, सफ़ेद छोटे छोटे झंडे, नींबु, काली हंडी, बांस की टोकनी (चरिहा) खुमरी (बांस की बनी टोपी) नारियल होम-धूप, लकड़ी की बैलगाड़ी का प्रतीक, दारु, मुर्गी……..ये सब फोटो लगाके आप अपना ब्‍लाग भूत-प्रेत, टोना-टोटका बुरी नजर वालो से बचा लिए…….

mahendra verma ने कहा… 

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 ३१ जुलाई २०११ ९:१९ पूर्वाह्न 
छत्तीसगढ़ के सवनाही संस्कृति का अच्छा चित्रण।
आनंद आ गया।
हरेली की बधाई स्वीकार करें।

संध्या शर्मा ने कहा… 

on 

 ३१ जुलाई २०११ १:३७ अपराह्न 
आपको हरियाली अमावस्या की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं …
बैगाओं और टोने टोटके के बारे में बहुत कुछ सुना है.आपने पोस्ट में जो आखिरी चित्र लगाया है मैंने उसे देखा भी है, जहाँ देखा था उन्होंने उसका नाम हत्था जोड़ी बताया था… दिलचस्प जानकारी…

Khushdeep Sehgal ने कहा… 

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 १ अगस्त २०११ १२:५० पूर्वाह्न 
ललित भाई,
वहां एक ब्लॉगर मीट करा दो…अच्छे अच्छे भी भाग जाएंगे…

जय हिंद…

आशा जोगळेकर ने कहा… 

on 

 २३ अगस्त २०११ ३:३९ पूर्वाह्न 
तो फिर हुआ कि नही सत्यान्वेषण

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महर्षि महेश योगी के जन्मस्थान पाण्डुका की सैर शकुन्तला तरार की दो कविताएँ

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